रहस्य-पद्मनाभ स्वामी मंदिर के सातवें दरवाज़े का

केरल में तिरुवनंतपुरम पद्मनाभ स्वामी मंदिर दुनिया के कुछ सबसे रहस्यमय जगहों में एक है। ये रहस्य है एक दरवाजे का, जिसे आज तक कोई खोल नहीं सका, न दरवाजा न रहस्य। ये मान्यता है कि उसे केवल कोई सिद्धपुरुष ही खोल सकता है, यह भी माना जाता है कि ये दरवाजा भगवान तक जाता है। क्या सचमुच इसके पीछे भगवान तक पहुंचने की रास्ता है। ये भी कहा जाता कि इसको खोलने से समुद्र आगे शहर में आ जायेगा, मंदिर डूब जायेगा या प्रलय आ सकती है। ऐसा माना जाता है किइस मंदिर के गर्भ-गृह खजाने में 2 लाख करोड़ का सोना है, पर इतिहासकारों के अनुसार वास्तविकता में इसकी ये अनुमानित राशि इससे कहीं दस गुना ज्यादा होगी। इस खजाने में सोने-चांदी के महंगे चेन, हीरा, पन्ना, रूबी, दूसरे कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां, रूबी जैसी कई बेशकीमती चीजें हैं
जिनकी असली कीमत आंकना बेहद मुश्किल है।कलियुग के पहले दिन मंदिर की स्थापना हुई थी मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति की स्थापना कब और किसने की, इसकी कहीं कोई ठोस जानकारी नहीं।भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में सिर्फ हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले ही जा सकते हैं और यहां प्रवेश के लिए एक खास वस्त्र (ड्रेस कोड) धारण करना भी ज़रूरी है। ये दुनिया का सबसे धनी हिंदू मंदिर है जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हैं। अन्य कहानियों के अनुसार 6वीं सदी में त्रावनकोर के महाराज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था और अपने बेशकीमती खजाने को मंदिर के तहखाने में और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। कई सौ सालों तक किसी ने इसके दरवाजे खोलने की हिमाकत नहीं की। बाद में इसे शापित माना जाने लगा।मंदिर में 6 तहखाने हैं, जो शापित माने जाते हैं खासकर मंदिर का 7वां द्वार। कथाओं के अनुसार एक बार खजाने की खोज करते हुए किसी ने इसे खोलने की कोशिश की थी, लेकिन उसके अंदर से जहरीले सांप निकलने लगे और सभी मौत को प्यारे हुए।सातवां दरवाजा खोलने की कोशिश ला सकता है प्रलय।माना जाता है तहखाना बी जो इस मंदिर का सातवां द्वार भी कहा जाता है, सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। किसी भी आधुनिक मानव-निर्मित तकनीक या दूसरे मानव-प्रयासों से खोलने या ऐसा करने की कोशिश की दिशा में मंदिर नष्ट हो सकता है और ये प्रलयकारी भी सिद्ध हो सकता है।
माना जाता है जहरीले सांपों का बसेरादरवाजे के पीछे के खजाने का पता लगाना भले ही मुश्किल हो, लेकिन इसके पीछे से पानी की आवाजें आती हैं। माना जाता है कि ये आवाजें सापों के सरसराने की हैं। शायद बहते हुए पानी में यहां बेहद जहरीले सांपों का निवास हो।20 फुट की खुदाई में मिला बेशकीमती खजानों का राज। 2011 में इसका कोर्ट के आदेश पर मंदिर ट्रस्टी को शामिल करते हुए इसे खोलने के लिए 7 लोगों की कमिटी बनाई गई। कागजी कार्रवाई में आसानी के लिए सभी तखखानों को ए, बी, सी, डी, ई और एफ नाम दिया गया। लोहे के दरवाजों के बाद एक और भारी लकड़ी का दरवाजा खोलते हुए जमीन के अंदर 20 फुट की खुदाई कर बाकी तहखाने तो खुल गए, लेकिन बी चैंबर नहीं खुल सका।
हालांकि खोले गए तहखानों से 1,32,000 करोड़ के सोने और हीरे जैसे कीमती रत्नों के जड़ाऊ गहने, हाथी की मूर्तियां, बंदूकें आदि निकलीं। चौंकाने वाली बात ये थी कि यहां 28 किलोग्राम का एक बैग ऐसा भी था जिसमें 7 अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय सिक्के थे, जिसमें नेपोलियन के समय के और इटालियन सिक्के भी थे।तमाम कोशिशों के बावजूद इसका चैंबर-बी दरवाजा खोला नहीं जा सका। हाईकोर्ट की आदेश पर इसे खोलने गए इतिहासकार और न्यायाधीश के अनुसार इस पुरानी तकनीक के ताले को खोलना बेहद मुश्किल है और वो इसे तोड़ना नहीं चाहते।
चैंबर बी का ये दरवाजा स्टील का बना है जिसके द्वार पर दो बड़े कोबरा सांपों की आकृति उकेरी हुई है। इसमें कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं है।माना जाता है कि इसे किसी सिद्ध पुरुष ने ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया है। इसलिए उतनी सिद्धियों के साथ ही इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का मंत्रोच्चार करते हुए ही खोला जा सकता है, वरना तकनीक या बल-प्रयोग से इसे खोलना विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। वैदिक साधना करने वाले कई साधुओं ने इसे खोलने की कोशिश की, लेकिन इसे खोल नहीं सके। इसलिए अभी तक इस मंदिर के चैंबर-बी का ये दरवाजा सबके लिए एक रहस्य बना हुआ है। इसके अंदर कितना भी बड़ा खजाना हो, या ना हो, लेकिन इतना जरूर कि ये दरवाजा भी स्वयं में ही में किसी अबूझ पहेली से कम नहीं है। राधे राधे(शत्रु)