हांगकांग के वार्षिकोत्सव दिवस पर प्रदर्शनकारियों ने किया हंगामा

हांगकांग के वार्षिकोत्सव दिवस पर सोमवार को विवादित प्रत्यर्पण विधेयक की आग एक बार फिर भड़क गई। एक जुलाई 1997 को ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग चीन के सुपुर्द किया गया, जिस दिन को हैंडओवर दिवस के रूप वार्षिकोत्सव मनाता है। इसी दौरान विधेयक का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी लेजिस्लेटिव काउंसिल (विधायिका परिषद) में घुसने की कोशिश करने लगे। प्रदर्शनकारियों को रोकने के दौरान पुलिस की उनसे झड़प हो गईं और पुलिस ने मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। तभी वे और भड़क उठे और उन्होंने इमारत में प्रवेश का कांच का दरवाजा तोड़ डाला। 22वें वार्षिकोत्सव पर जहां एक तरफ चीन विक्टोरिया पार्क में ‘ग्रेटर बे फेस्टिवल’ के साथ पूरे हांगकांग में सिलसिलेवार गतिविधियां आयोजित कर रहा था वहीं सोमवार को प्रदर्शनकारी हजारों की संख्या में जुटे और रैली निकालने लगे। तड़के निकल रही इस रैली में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई। पिछले तीन सप्ताह से हजारों लोग प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा उतार रहे हैं। बिल को स्थगित करने के फैसले के बावजूद प्रदर्शनकारियों की नाराजगी चीन समर्थित सर्वोच्च नेता कैरी लेम से है जिन्होंने 2012 में सत्ता में आने के बाद से हांगकांग के लिए कई चुनौतियां खड़ी की हैं।
प्रदर्शनकारियों की भीड़ के साथ कुछ लोगों ने इमारत के कांच के पैनल को क्षतिग्रस्त कर दिया। गुस्साई भीड़ ने एक कार्गो कार्ट को लेजिस्लेटिव काउंसिल के कांच के द्वार में घुसा दिया। प्रदर्शनकारियों में कई छात्र शामिल थे जो काले कपड़े, फेस मास्क और हैट पहनकर रैली करते रहे। पुलिस ने इन पर मिर्च स्प्रे का उपयोग किया और दंगा पुलिस ने उन्हें खदेड़ते हुए बल प्रयोग की धमकी दी। ब्रिटेन ने चीन को हांगकांग सौंपते वक्त स्वायत्तता की शर्त रखी थी लेकिन नए प्रत्यर्पण बिल से लोगों की चिंता बढ़ गई है। शर्त के मुताबिक यदि कोई शख्स अपराथ कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जिसके साथ इसकी संधि नहीं है। चीन भी अब तक इस संधि से बाहर है। लेकिन नया बिल इस कानून में विस्तार कर संदिग्धों को प्रत्यर्पण की अनुमति देगा। प्रदर्शनकारी मानते हैं कि इससे हांगकांग के नागरिकों की आजादी खत्म होगी। चीन के खिलाफ इस उत्तेजक माहौल में हांगकांग की नेता कैरी लेम ने मीडिया से कहा - बीते दिनों जो कुछ भी शहर में हुआ उससे स्पष्ट है कि उन्हें आगे किस प्रकार की सावधानी बरतनी है। उन्होंने कहा कि एक नेता के बतौर मुझे यह सीख मिली है कि आगे कोई भी फैसला लेते समय लोगों की भावनाओं और विचारों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।