भारत ने RCEP से किया किनारा, नहीं होगा ग्रुप में शामिल

रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) (RCEP) में भारत ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। दरअसल आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा। इसके तहत निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा। इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की चिंताओं को लेकर दृढ़ हैं और घरेलू उद्योगों के हित को लेकर कोई भी समझौता नहीं करने का फैसला लिया है। RCEP में भारत के शामिल होने के खिलाफ किसान देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। खासकर किसान संगठनों कड़ी आपत्ति जता रहे थे। किसानों का कहना है कि ये संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर भारत आरसीईपी की संधि में शामिल होता है तो देश के कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं भारत का डेयरी उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। समिति के संजोयक वीएम सिंह का कहना है कि मौजूदा समय छोटे किसानों की आय का एकमात्र साधन दूध उत्पादन ही बचा हुआ है, ऐसे में अगर सरकार ने आरसीईपी समझौता किया तो डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जायेगा और 80 फीसदी किसान बेरोजगार हो जाएंगे।