महारष्ट्र में नयी सरकार के गठन को लेकर अमित शाह से मिले फडणवीस

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के मध्य गतिरोध के बीच मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले। यह मुलाकात करीब 40 मिनट यह मुलाकात चली आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के 11 दिन बाद भी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कवायदें जारी है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 24 अक्टूबर को आए नजीतों में भाजपा को 105 सीटों पर जीत मिली है जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की। 288 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, लिहाजा गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चल रही है। फडणवीस की शाह से मुलाकात के दौरान बेमौसम बारिश से प्रभावित राज्य के किसानों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मदद दिलाने पर चर्चा की बात कही जा रही है। राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों को 10 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने का ऐलान किया है, हालांकि भाजपा की सहयोगी शिवसेना के साथ साथ कांग्रेस और राकांपा ने भी इस पैकेज को अपर्याप्त बताया है। राज्य सरकार ने कहा है कि बेमौसम बारिश से 52.44 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हुई है। महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को खत्म हो जाएगा। हालांकि मीटिंग के बाद बाहर निकले फडणवीस ने सरकार गठन पर चर्चा से इनकार करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह से सिर्फ किसानों को लेकर बातचीत हुई।मीडिया से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि सूबे में जल्द नई सरकार की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'कौन क्या बोलता है, मैं यह नहीं कह सकता।' उन्होंने कहा, 'नई सरकार के गठन को लेकर कौन क्या कहता है, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। मैं यही कहूंगा कि महाराष्ट्र में जल्दी ही नई सरकार बनेगी, मुझे पूरा भरोसा है।'
शिवसेना महाराष्ट्र के राज्यपाल से सोमवार शाम पांच बजे मुलाकात करेगी। इस दौरान शिवेसना के नेता संजय राउत राज्यपाल को चुनाव बाद महाराष्ट्र में उपजे राजनीतिक हालात की जानकारी देंगे। आपको बता दें, शिवसेना के 56 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पास 54 विधायक हैं। वहीं, निर्दलीय विधायकों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है। अगर ये सभी पार्टियां एकसाथ आती हैं तो ये आंकड़ा 170 के करीब पहुंचता है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार गठन का ‘रिमोट कंट्रोल’ अब उनकी पार्टी के पास है। राउत ने कहा, यह कोई खेल नहीं है। बल्कि शिवसेना के लिए विश्वास, आत्म-सम्मान और सच्चाई का मामला है।