Jawaharlal Nehru का राजनैतिक जीवन और किसके हुए थे नेहरू दीवाने, जाने

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू (1861–1931), एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित समुदाय से थे। जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज, लंदन, (Trinity College, Cambridge, London) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। इनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अपनी पढ़ाई करने के बाद वे साल 1912 में भारत वापस लौटे जिसके बाद इन्होनें अपनी वकालत शुरू की। साल 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। साल 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमन्त्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो तो सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। उसके बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी को मिले थे। किन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को प्रधानमन्त्री बनाया गया। जिसके बाद साल 1947 में जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद इनके ऊपर बहुत सी जिम्मेदारी आ गयी थी।
जिसको ये अच्छे से निभा भी रहे थे। इन्होने चीन के साथ अपने रिश्ते भी ठीक करने की कोशिश की, लेकिन नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था। आशिकी आज के दौर में ही नहीं होती है। ये आशिकी पुराने ज़माने में भी देखने को मिली है। ऐसा कहा जाता था कि जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन (Edwina Mountbatten) से इश्क था। ये एक दूसरे को लेटर्स भी भेजा करते थे। एयर इंडिया की फ़्लाइट से नेहरू रोज़ एडविना को पत्र भेजा करते थे। एडविना उसका जवाब देती थीं और उच्चायोग का आदमी उन पत्रों को एयर इंडिया के विमान तक पहुंचाया करता था। जवाहरलाल नेहरू का निधन दिल का दौरा पड़ने से 27 May 1964 को दिल्ली में हो गया था। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी और देश में शोक की लहर छा गयी थी।