कौन थे 'मौलाना आजाद' जिन्होंने IIT, IIM जैसे संस्थानों की नींव रखी, साथ ही पाकिस्तान बनाने का किया था विरोध

आज देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का 131वां जन्मदिन है। वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, लेखक थे। उन्हीं के जन्मदिन पर हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षा के छेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उनके जन्मदिन पर साल 2015 में 'नेशनल एजुकेशन डे' (National Education Day) मनाने का फैसला किया था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का असली नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन था। लेकिन उन्हें मौलाना आजाद नाम से ही जाना जाता है। मौलाना आजाद महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया और वो अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे। अगर उनकी बात मन ली जाती तो धर्म के आधार पर जो देश का बंटवारा हुआ वो न होता।
आजाद उर्दू में कविताएं भी लिखते थे. इन्हें लोग कलम के सिपाही के नाम से भी जानते हैं। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के अहम लीडरों में से एक थे। वह लीडर के साथ-साथ पत्रकार और लेखक भी थे। उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता भी विद्वान थे, जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं. 13 साल की उम्र में मौलाना की शादी खदीजा बेगम से हो गई थी। भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की थी। मौलाना आजाद 35 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस (Indian National Congress) के सबसे नौजवान अध्यक्ष बने थे।